ऐसे होते हैं Eco Friendly Home, आपका घर भी हो सकता है ईको फ्रेंडली
– बीते एक दशक में ग्रीन बिल्डिंग की संख्या पांच गुना बढ़ी
– रियल एस्टेट सेक्टर भी प्रोजेक्ट्स को पर्यावरण अनुकूल बना रहा
नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व जूझ रहा है। पीएम मोदी से लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन तक लोगों से पर्यावरण संरक्षण की अपील कर रहे हैं। ऐसे में एक नया शब्द सामने आ रहा है ईको फ्रेंडली होम। अब ईको फ्रेंडली होम (Eco Friendly Home) बोला तो जा रहा है लेकिन ये होम हैं कैसे और क्या आपका घर भी ईको फ्रेंडली है, यह जानना जरूरी है। हम अपने घर को ईको फ्रेंडली कैसे बना सकते हैं। दिल्ली एनसीआर में बनने वाले मल्टीस्टोरी प्रोजेक्ट्स ईको फ्रेंडली हैं या नहीं, ये सारे जवाब हम आज आपको देंगे।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत भूस्खलन, बेमौसम बारिश, सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक चुनौतियों से जूझता रहा है। ऐसे में अब लोग ऐसे घर की तलाश करते है जो पर्यावरण के अनुकूल हो। यही कारण है कि रियल एस्टेट सेक्टर अपनी परियोजनाओं में पर्यावरण के अनुकूल समाधानों को अपनाने पर जोर दे रहा है।
समझिए क्या होता है ईको फ्रेंडली होम
इको-फ्रेंडली होम को बनाने में लकड़ी, मेटल और ग्लास जैसी रिसाइकिल की जा सकने वाले मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के निर्माण पर खर्च कम आता है और वेस्ट भी कम होता है। कंस्ट्रक्शन को पर्यावरण फ्रेंडली बनाए रखने के लिए हरी छत यानी ग्रीन रूफिंग का ध्यान रखने से काफी फायदे होते हैं। ईको फ्रेंडली होम ऊर्जा की खपत को 30 प्रतिशत, पानी के उपयोग को 40 प्रतिशत और अपशिष्ट उत्पादन को काफी हद तक कम कर देते हैं।
कितनी आती है इको फ्रेंडली होम को बनाने में लागत
ईको फ्रेंडली होम को बनाने में लागत जरुरत के हिसाब से बदलती रहती है। बजट को कम रखने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध साधन, जैसे- जमीन से निकली मिट्टी और इको फ्रेंडली व किफायती रॉ मटेरियल (लेटराइट पत्थर, कोटा पत्थर, पुरानी मंगलोर टाइल्स आदि) का इस्तेमाल करके बनाते है तो इसकी लागत 12 से 15 लाख के करीब आएगी। वहीं, अगर आप अपने ईको फ्रेंडली होम में पर्यावरण से जुड़ी ज्यादा से ज्यादा चीजों का इस्तेमाल करते है। जैसे सोलर सिस्टम, छत की सतह पर इस बॉटनिकल लेयर,माड्यूलर कंस्ट्रक्शन आदि का इस्तेमाल करके भी घर बना सकते है,ऐसे में लागत थोड़ी बढ़ जाएगी। देखा जाये तो एक इको फ्रेंडली होम को बनाने में 12 -15 लाख से लेकर 30 -40 लाख और इससे ज्यादा तक लागत आ सकती है।
रियल एस्टेट डेवलपर्स भी बना रहे ईको फ्रेंडली होम
रियल एस्टेट पर रिसर्च करने वाली संस्था केपीएमजी इंडिया और कोलियर्स की हाल में जारी हुई रिपोर्ट के अनुसार 2023 में भारत के रियल एस्टेट बाजार में पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं पर काफी जोर दिया जा रहा है। यही कारण है कि कामकाज के लिए ग्रीन ऑफिस के स्टॉक में 2016 के मुकाबले वर्तमान में 83 फीसदी की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में 2016 के बाद की अवधि पर प्रकाश डाला गया है क्योंकि मकान खरीदारों के हितों की रक्षा करने और रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए रियल एस्टेट अधिनियम 2016 को उसी साल लागू किया गया था।
एनसीआर की सोसायटी जिसमें बने ईको फ्रेंडली होम
नोएडा के सेक्टर 144 स्थित गुलशन डायनेस्टी सोसाइटी एनसीआर की पहली पर्यावरण संरक्षण करने वाली सोसाइटी बन गई है। गुलशन डायनेस्टी को इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की ओर से प्लैटिनम सर्टिफिकेट दिया गया है। पर्यावरण संरक्षण के अलावा कम बिजली खपत नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल और जल संरक्षण आदि को लेकर भी यह सर्टिफिकेट दिया जाता है।
क्या कहते है एक्सपर्ट
एनसीआर की पहली ग्रीन बिल्डिंग बनाने को लेकर गुलशन ग्रुप की डायरेक्टर युक्ति नागपाल का कहना है कि सोसाइटी न सिर्फ रहने के लिए बेहतरीन स्थान है बल्कि पर्यावरण के लिए भी पूरी तरह से अनुकूल है। पृथ्वी को बेहतर और हरित गृह बनाने के लिए इस तरह की पहल जरूरी है और आने वाले समय में भी इस तरह के निर्माण करते रहेंगे।
रहेजा डेवलपर्स के नयन रहेजा का कहना है कि ईको फ्रेंडली होम की मांग आने वाले समय में काफी बढ़ेगी जिससे रियल स्टेट सेक्टर में सकारात्मक बदलाव आएगा। बदलते समय को लेकर लोग ऐसे घर की तलाश कर रहे हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हो। दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदुषण और कोविड के बाद होम बॉयर्स की सोच बदली है। ये भी एक वजह है कि डेवलपर्स भी अब बॉयर्स को ध्यान में रखकर ही इको फ्रेंडली घरों का निर्माण कर रहे हैं।
काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी का कहना है है कि भारत की सबसे बेस्ट ग्रीन बिल्डिंग्स नोएडा और नोएडा में भी है और आने वाले समय में दिल्ली एनसीआर में बिल्डिंग का निर्माण और बढ़ेगा। ऐसी बिल्डिंग के बाहरी हिस्से में रिन्यूबल एनर्जी-आधारित एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कुल बिजली का लगभग 25 प्रतिशत कम हो जाता है। आजकल लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं। वो अपनी डे टू डे लाइफ से लेकर अपने घरों तक के लिए ऐसे प्रोडक्ट की तलाश कर रहे हैं, जो न सिर्फ ऊर्जा की बचत करे, बल्कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी बचाए।