(Hindi) शिंदे की कुर्सी रहेगी बरकरार, जान लीजिए इसलिए हुई उद्धव की हार, स्पीकर के फैसले का पोस्टमार्टम
न्यूज 1 भारत/ मुंबई
करीब डेढ़ साल से महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thakrey) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बीच चले आ रहे विवाद का आज पटाक्षेप हो गया. बुधवार को यह साफ हो गया है कि राज्य में सीएम की कुर्सी एकनाथ शिंदे के पास ही रहेगी. विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना (Shivsena) विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले में अपना फैसला सुनाते हुए शिंदे और उनके सहयोगी विधायकों को योग्य ठहरा दिया. आईए जानते हैं इस फैसले में क्या कहा गया.
महाराष्ट्र के विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधायकों की अयोग्यता पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शिंदे गुट की पार्टी ही असली शिवसेना पार्टी है. विधानसभा में फैसला सुनाते हुए नार्वेकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश में सभी बिन्दुओं पर गहन विचार किया गया है. 1215 पन्नों का यह पूरा फैसला आया है. नार्वेकर ने फैसले के चुनिंदा अंश पढ़कर सभी को सुनाए. उन्होंने वे महत्वपूर्ण सभी बातें बताईं जिनके आधार पर यह निर्णय लिया गया है.
राहुल नार्वेकर ने अपने निर्णय में सभी घटनाक्रमों पर एक के बाद एक तथ्य बताकर प्रकाश डाला. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और इलेक्शन कमीशन के कई निर्णयों का भी हवाला दिया और शिंदे गुट को ही असल शिवसेना बताया. नार्वेकर ने कहा कि सबसे अहम यह है कि असली शिवसेना कौन-सी है. निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना बताया था. शिवसेना का 1999 का संविधान ही अभी तक मान्य है.
विधानसभा अध्यक्ष ने किया दूध का दूध और पानी का पानी
विस अध्यक्ष ने कहा कि दोनों गुटों ने पार्टी के अलग-अलग संविधान का हवाला दिया था, लेकिन उद्धव गुट के पार्टी के संविधान पर तारीख नहीं थी, इसलिए उसे मान्य नहीं किया गया है. ठाकरे गुट ने जो हलफनामा दाखिल किया, वह पूरी तरह अमान्य है. क्योंकि, 23 जनवरी 2018 के दिन शिवसेना में चुनाव नहीं हुआ. इसलिए संविधान में जो बदलाव किया गया वो पूरी तरह गलत है.
निर्णय सुनाने से पहले स्पीकर नार्वेकर ने कहा कि अयोग्यता की सुनवाई पूरी हो चुकी है. वे नियमों के अनुसार निर्णय लेंगे और उनके फैसले में सबको न्याय मिलेगा.
कब क्या हुआ
आपको बता दें कि जून 2022 में शिंदे ने शिवसेना के कुछ विधायकों के साथ महाराष्ट्र में सरकार का तख्ता पलट किया था. एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए थे. शिंदे ने दावा किया कि उनकी पार्टी ही असली शिवसेना है. उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए एक याचिका दायर कर दी थी. उद्धव की याचिका के बाद एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका दायर की. कोर्ट ने मामले को विधानसभा स्पीकर के पाले में डाल दिया और कहा कि स्पीकर ही विधायकों की योग्यता-अयोग्यता का फैसला करेंगे. इसके लिए पहले तो 31 दिसंबर की तारीख तय थी. बाद में इसे 10 जनवरी तय किया गया.
फैसला आने से पहले पूरे दिन सियासी गलियारे में लगातार हलचल मची थी. शिंदे गुट और उद्धव गुट एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे. शाम को फैसला आने के समय शिंदे गुट पार्टी दफ्तर में जमा था. उद्धव ने दिन में ही स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाया और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बता दें कि शिंदे गुट में 16 विधायक हैं. इनमें सीएम एकनाथ शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीपन भुमरे, तानाजी सावंत, यामिनी जाधव, महेश शिंदे, बालाजी कल्याणकर, रमेश बोरनारे हैं. निर्णय आने के बाद शिंदे गुट ने ढोल नगाड़े बजाकर खुशी मनाई.